वास्तु और पंचतत्व

हमारा शरीर पंच तत्वों से मिलकर बना है, जिसमें पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश शामिल है। ये पंचतत्व मिलकर हमारे आसपास की ऊर्जाओं को नियंत्रित कर सकती है तो जल पृथ्वी वायु अग्नि और आकाश इन पांच तत्वों में सामंजस्य स्थापित करके ही को ठीक किया जा सकता है क्योंकि यह ऊर्जाएं इन्हीं पांच तत्वों से निर्मित होती है और वास्तु ही वह विज्ञान है जो पांच तत्वों की ऊर्जा को सकारात्मक बनाने में योग्य है। वास्तु को समझने के लिए पांच तत्वों को समझना होगा। सृष्टि का निर्माण इन्हीं पांच तत्वों से हुआ है ब्रह्मांड का आधार यह पांच तत्व ही है ब्रह्मांड में मौजूद सभी चीज इन्हीं पंचमहाभूतों का समावेश हैये 5 तत्व शरीर के 7 मुख्य चक्रों में बंटे हुए हैं। हम अपना भोजन पृथ्वी से प्राप्त करते हैं और जीवन के अंत में हमारा शरीर भी पृथ्वी पर ही लौट आता है। हमारे शरीर के कुल वजन का 75% से अधिक हिस्सा पानी का होता है। अग्नि शरीर की गर्मी और दीप्तिमान ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती है और सभी चयापचय और रासायनिक क्रियाओं में मौजूद होती है। वायु हमारे पूरे शरीर में बहती है और प्रत्येक कोशिका को ऑक्सीजन प्रदान करती है। यह प्रत्येक चयापचय गतिविधि का भी हिस्सा है। अंतरिक्ष हमारे चारों ओर है।  इन्हीं पांच तत्वों और सात चक्रों के संतुलन से शरीर स्वस्थ बनता है। प्राचीन काल में वेदों से लेकर विद्वानों तक सभी ने इस बात को स्वीकार किया है कि ये 5 तत्व हमारे तन और मन को खुश रखने और स्वस्थ बनाने में मददगार साबित होते हैं। प्रकृति के ये 5 तत्व जीवन का संतुलन बनाने के लिए अनिवार्य हैं। इनके गड़बड़ होने पर आपके स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। इसलिए कहा जाता है कि किसी न किसी तरह इन पांच तत्वों को अपने जीवन में जरूर शामिल करें।
पंचतत्वों का वास्तु से गहरा संबंध 
घर की उत्तर-पूर्व (North East) कोने को ईशान कोण कहा जाता है जो कि जल (Water Element) तत्व को दर्शाती है. उत्तर-पश्चिम (North West) दिशा को वायव्य कोण कहा जाता है जो कि वायु (Air Element)तत्व को दर्शाती है. दक्षिण-पूर्व (South East) दिशा को आग्नेय कोण कहा जाता है जो कि अग्नि ( Fire Element) तत्व का प्रतिनिधित्व करती है. दक्षिण-पश्चिम (South West) दिशा को नैऋत्य कोण कहा जाता है जो कि पृथ्वी (Earth Element) तत्व को दर्शाती है.
घर के बीचोंबीच का जो स्थान होता है उसे ब्रह्म स्थान कहा जाता है जो कि आकाश तत्व माना जाता है. इस प्रकार से हमारा पूरा घर पंचतत्वों से मिलकर बना है और इन्हीं पंचतत्वों से मिलकर शरीर भी बना है. बेहतर और खुशहाल जीवन जीने के लिए इन सभी दिशाओं का दोष रहित होना सबसे जरूरी है

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